वजन बढ़ना: स्टेरॉइड्स का एक आम दुष्प्रभाव वजन बढ़ना है। ये आपकी भूख को बढ़ा सकते हैं, जिससे अधिक खाने और कैलोरी की खपत में वृद्धि हो सकती है। यह वजन विशेष रूप से चेहरे, पेट और गर्दन के पीछे जमा हो सकता है, जिससे चेहरा गोल (“मून फेस”) दिख सकता है। यह वसा का पुनर्वितरण कई उपयोगकर्ताओं के लिए असहज हो सकता है।
मूड और व्यवहार में बदलाव: स्टेरॉइड्स का मस्तिष्क के रसायनों पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे मूड में उतार-चढ़ाव हो सकता है। उपयोगकर्ता कभी-कभी बेहद खुश महसूस कर सकते हैं, तो कभी अचानक उदास या चिड़चिड़े हो सकते हैं। कुछ लोगों में चिंता, अवसाद या अन्य गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी विकसित हो सकती हैं।
हड्डियों की कमजोरी (ऑस्टियोपोरोसिस): लंबे समय तक स्टेरॉइड्स का उपयोग हड्डियों को कमजोर कर सकता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है। यह स्थिति हड्डियों को अधिक नाजुक बना देती है और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ा देती है। यह समस्या विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए खतरनाक हो सकती है। स्टेरॉइड्स शरीर के कैल्शियम और अन्य खनिजों को अवशोषित करने की क्षमता में हस्तक्षेप करते हैं, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं।
उच्च रक्तचाप: स्टेरॉइड्स से शरीर में नमक और पानी की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे रक्तचाप बढ़ सकता है। लंबे समय तक उच्च रक्तचाप दिल और रक्त वाहिकाओं पर दबाव डाल सकता है, जिससे हृदय रोग, दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
रक्त शर्करा स्तर में वृद्धि: स्टेरॉइड्स से रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ सकता है, जो इंसुलिन के प्रति शरीर की संवेदनशीलता को कम कर देता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए चिंता का कारण है जिन्हें मधुमेह है या जिनमें मधुमेह का खतरा है, क्योंकि यह रक्त शर्करा के प्रबंधन को कठिन बना सकता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी: स्टेरॉइड्स प्रतिरक्षा प्रणाली को दबा देते हैं, जिससे शरीर को संक्रमण से लड़ने में कठिनाई होती है। स्टेरॉइड्स का उपयोग करने वालों को बार-बार बीमारियां हो सकती हैं या साधारण बीमारियों से उबरने में अधिक समय लग सकता है।
त्वचा की समस्याएं: स्टेरॉइड्स के उपयोग से त्वचा में कई समस्याएं हो सकती हैं। इनमें मुंहासे, त्वचा का पतला होना और घावों के धीमे भरने जैसी समस्याएं शामिल हैं। वजन तेजी से बढ़ने पर स्ट्रेच मार्क्स भी हो सकते हैं।
पाचन संबंधी समस्याएं: स्टेरॉइड्स पेट की लाइनिंग को परेशान कर सकते हैं, जिससे एसिडिटी, अपच और गंभीर मामलों में अल्सर हो सकता है। पेट के अल्सर पेट में दर्द का कारण बन सकते हैं और, अगर इलाज न किया जाए, तो गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।
हार्मोनल प्रभाव: स्टेरॉइड्स शरीर के हार्मोन संतुलन को बिगाड़ सकते हैं। पुरुषों में, यह टेस्टोस्टेरोन उत्पादन में कमी का कारण बन सकता है, जिससे शुक्राणुओं की संख्या में कमी, अंडकोष का सिकुड़ना और कामेच्छा में कमी हो सकती है। महिलाओं में, स्टेरॉइड्स अनियमित मासिक धर्म चक्र, चेहरे पर बाल बढ़ना, और आवाज का भारी होना जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
मांसपेशियों की कमजोरी और थकान: स्टेरॉइड्स के लंबे समय तक उपयोग से मांसपेशियों की कमजोरी हो सकती है। इससे मांसपेशियों का क्षय (ब्रेकडाउन) हो सकता है, जिससे सामान्य शारीरिक गतिविधियां भी कठिन हो जाती हैं।
संक्षेप में, स्टेरॉइड्स कई चिकित्सा स्थितियों के इलाज में सहायक हो सकते हैं, लेकिन इनके साथ जुड़े दुष्प्रभावों को समझना जरूरी है। वजन बढ़ना, मूड में बदलाव, हड्डियों की कमजोरी, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, त्वचा की समस्याएं, पाचन संबंधी समस्याएं, हार्मोनल परिवर्तन, और मांसपेशियों की कमजोरी जैसे जोखिम हो सकते हैं। इसलिए, स्टेरॉइड्स का उपयोग केवल डॉक्टर की निगरानी में ही करना चाहिए। डॉक्टर द्वारा उचित खुराक और समय सीमा का निर्धारण करने से इन दुष्प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे मरीजों को स्टेरॉइड्स के उपचारात्मक प्रभावों का लाभ मिल सके।